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बेरोजगार का ऑक्सीजन

सुकून इस बात का है के  कुछ पेड़ तो लगाए थे ! देखभाल भी की  वो फले फुले, आज भी कुछ बचे  हैं  बड़ा हुआ तो पता चला के पेड़ बस ऑक्सीजन  देते हैं जो खाना पचाने मे काम आता है  तो लगा के ऑक्सीजन का करूंगा क्या जब पेट मे खाना ही नहीं रहेगा  तो पेट भरने  निकल गया  पेड़ वहीं रह गए  कुछ काट दिए गए  कुछ अभी भी ऑक्सीजेन दे रहें हैं  और आज भी मेरा खाना ऑक्सीजेन से ही पचता है |

अनुपात

  जात नहीं हालात पूछते भूख से जागती रात पूछते तरीके हजार होंगे सपने दिखाने के अमीरी गरीबी के बढ़ते अनुपात पूछते 

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 फड़फड़ाहट से मालूम होता है के जड़ों से कितना दूर हो । बंद आँखों से दिखता है के तुम कितने मगरूर हो। 

सरलता का संतुलन

 सब तो सरल ही था किसी ने समय का विचार उड़ा दिया और सब वक्र हो गया भाग भाग के हम  वहीँ पहुंचने लगे  अनंत चक्र के चक्कर में  अपनी सरलता खो के  कल्प सफलता बो के  अचानक आसमान में सितारे ज्यादा हैं  वहीँ से तो आएं हैं  वहीँ तो जाना था  पहुंच गए टिमटिमाने  संतुलन में ही सरलता है  और प्रकृति ही संतुलित है  प्रकृति की वक्रता देखिये  सरल रेखा इस धरती पर खिंच के तो दिखाइए ? फिर कहियेगा  के सब तो सरल ही था।  

जय श्री कृष्णा

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                                                    हर बार प्रभू नहीं आएंगे , बस धनूष बाण पकड़ाएंगे | मछ्ली कि आँख बहाना है , जीत का गुर समझाना है | मैंने न कहा के पूज मुझे , संदेशों से हो सूझ तुझे | मेरी प्रतिमा तू मन मे रख , कर्मों से हो न कभी विमुख  | बस यही भेद का दाता है , होने का होना समझाता है |  

जो मैं हूँ

   जो अनुभव मेरे  हैं  तुम्हारे कभी नहीं हो सकते  जो सावन मेरे हैं  तुम्हारे कभी नहीं हो सकते  क्यूके  उन्हे मैं कभी भी दुबारा महसूस कर सकता हूँ  उसी सिहरन के साथ  उन्ही धड़कन के साथ  इसी तरह  वो मेरे हैं  उन्हे मैं चाह के भी  किसी को नहीं दे सकता  और वही तो मैं हूँ  अगर जान सको मुझे  तो बस  सुन और समझ लेना  बाकी का बाकी ही रहने देना  वो बाकी ही मुझे अपने मे रखता है  जब मैं उसमे से निकलता हूँ  तो ही तुम्हें समझ आ सकता हूँ  जितना नहीं समझ पाते हो मुझे  वो  बाकी बचा वही तो है  जो मैं हूँ 

सिर्फ तू इतना बेकार है

   फिर वो अंधकार है  फिर वो विकार है  रोकता है वो मुझे  टोकता है वो मुझे  अयोग्य वो बनाता है  विश्वास को हिलाता है  मजबूरी वो समझाता है  के पहुँच नहीं पाएगा तू  रुक जा समझ जा  नासमझी मुझे मंजूर  के खत्म हो जाऊँ जरूर  रुकना नहीं मंजूर  ये तर्कहीन पुकार है  जो आती बार बार है  सिर्फ तू  इतना बेकार है  सिर्फ तू  इतना बेकार है