सिर्फ तू इतना बेकार है

  फिर वो अंधकार है 

फिर वो विकार है 

रोकता है वो मुझे 

टोकता है वो मुझे 

अयोग्य वो बनाता है 

विश्वास को हिलाता है 

मजबूरी वो समझाता है 

के पहुँच नहीं पाएगा तू 

रुक जा समझ जा 


नासमझी मुझे मंजूर 

के खत्म हो जाऊँ जरूर 

रुकना नहीं मंजूर 

ये तर्कहीन पुकार है 

जो आती बार बार है 

सिर्फ तू  इतना बेकार है 

सिर्फ तू  इतना बेकार है  

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