जय श्री कृष्णा
हर बार प्रभू नहीं आएंगे ,
बस धनूष बाण पकड़ाएंगे |
मछ्ली कि आँख बहाना है ,
जीत का गुर समझाना है |
मैंने न कहा के पूज मुझे ,
संदेशों से हो सूझ तुझे |
मेरी प्रतिमा तू मन मे रख ,
कर्मों से हो न कभी विमुख |
बस यही भेद का दाता है ,
होने का होना समझाता है |
Comments
Post a Comment